Tuesday, July 19, 2016

सूली ऊपर घर करै, विष का करै अहार।

सूली ऊपर घर करै, विष का करै अहार।
ता को काल कहा करै, जो आठ पहर हुशियार।।

परमसन्त श्री कबीर साहिब का कथन है कि जिस गुरुमुख ने भक्ति के कठिन मार्ग में पाँव रखा है और जो संसार की स्तुति-निन्दा, मानापमान आदिक को सहता है ( क्योंकि भक्तिमार्ग में जो मन-माया के साथ जूझना होता है, वह मानो सूली पर घर करना है; तथा जो संसार की भली-बुरी, गर्म-सर्द सहना है, यह मानो विष का भोजन है); जो गुरुमुख पुरुष इस प्रकार आठों पहर होशियार है, उसका भला काल क्या बिगाड़ सकता है?

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