अलि पतंग मृग मीन गज, जरत एक ही आँच।
"तुलसी' ताकी कौन गति, जाको लागे पांच।।
"तुलसी' ये तो पांच हैं, और भी होत पचास।
रघुवर जाकै रिदै बसे, ताको कौन त्रास।।
अर्थः-भंवरा, पतंगा, मृग, मछली और हाथी- ये सब एक-एक ही इन्द्रिय के स्वाद की आग में जल कर जीवन को नष्ट कर बैठते हैं। भंवरा सुगन्ध के लोभ में मारा जाता है, मृग मधुर संगीत का आखेट होता है, मछली को जिह्वा का स्वाद जाल में फंसा देता है, पतंग दीपक की सुन्दरता पर मोहित होकर प्राण गंवा बैठता है और हाथी विषय वासना के अधीन होकर ज़ंज़ीरों मे जकड़ा जाता है। सन्त तुलसीदास जी कथन करते हैं कि वह मनुष्य जो इन पांचों स्वादों के अधीन हो, उसकी क्या दशा होगी? परन्तु फिर कहते हैं कि सम्पूर्ण संसार की दशा एक समान नहीं। आम संसार निःसन्देह इन स्वादों का आखेट हो रहा है परन्तु भाग्यशाली गुरुमुख प्रेमी जो सन्त सद्गुरु की चरण शरण का सहारा ले लेते हैं, उनकी आज्ञा और मौज के अन्दर चलते हैं, तो उनके लिये सन्त तुलसीदास जी का फरमान है कि पांच तो क्या चीज़ हैं चाहे पचासों शत्रु भी एक साथ आक्रमण करें, तो भी उसका बाल तक बांका नहीं कर सकते जिसके सिर पर सद्गुरु धनी का हाथ हो।
"तुलसी' ताकी कौन गति, जाको लागे पांच।।
"तुलसी' ये तो पांच हैं, और भी होत पचास।
रघुवर जाकै रिदै बसे, ताको कौन त्रास।।
अर्थः-भंवरा, पतंगा, मृग, मछली और हाथी- ये सब एक-एक ही इन्द्रिय के स्वाद की आग में जल कर जीवन को नष्ट कर बैठते हैं। भंवरा सुगन्ध के लोभ में मारा जाता है, मृग मधुर संगीत का आखेट होता है, मछली को जिह्वा का स्वाद जाल में फंसा देता है, पतंग दीपक की सुन्दरता पर मोहित होकर प्राण गंवा बैठता है और हाथी विषय वासना के अधीन होकर ज़ंज़ीरों मे जकड़ा जाता है। सन्त तुलसीदास जी कथन करते हैं कि वह मनुष्य जो इन पांचों स्वादों के अधीन हो, उसकी क्या दशा होगी? परन्तु फिर कहते हैं कि सम्पूर्ण संसार की दशा एक समान नहीं। आम संसार निःसन्देह इन स्वादों का आखेट हो रहा है परन्तु भाग्यशाली गुरुमुख प्रेमी जो सन्त सद्गुरु की चरण शरण का सहारा ले लेते हैं, उनकी आज्ञा और मौज के अन्दर चलते हैं, तो उनके लिये सन्त तुलसीदास जी का फरमान है कि पांच तो क्या चीज़ हैं चाहे पचासों शत्रु भी एक साथ आक्रमण करें, तो भी उसका बाल तक बांका नहीं कर सकते जिसके सिर पर सद्गुरु धनी का हाथ हो।
Thank you very much.I was searching for its meaning since last many years.Than you.Thank you.Thank you.
ReplyDeleteBahut sunder lain
ReplyDeleteWhich book it belongs?
ReplyDeleteShri ramcharit Manas
DeleteWhich book it belongs?
ReplyDeleteरामचरित मानस
DeleteVery nice
ReplyDeleteउत्तम है
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