जितना हेत कुटुम्ब स्यौ, उतना गुरु सों होइ।
चला जाय बैकुण्ठ में, पल्ला न पकड़ै कोइ।।
अर्थः-सन्तों ने कहा है कि कुटुम्ब के साथ जितना नेह है, उतना ही यदि गुरु के पावन चरणों में जीव का हो जाये; तो अबाध गति से बैकुण्ठ में चला जा सकता है। सतगुरु के प्रेम का इतना बड़ा प्रताप है।
चला जाय बैकुण्ठ में, पल्ला न पकड़ै कोइ।।
अर्थः-सन्तों ने कहा है कि कुटुम्ब के साथ जितना नेह है, उतना ही यदि गुरु के पावन चरणों में जीव का हो जाये; तो अबाध गति से बैकुण्ठ में चला जा सकता है। सतगुरु के प्रेम का इतना बड़ा प्रताप है।
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