Wednesday, July 6, 2016

फ़रीदा चारि गाँवाइया ङंढि कै, चारि गँवाइया संमि।

फ़रीदा चारि गाँवाइया ङंढि कै, चारि गँवाइया संमि।
लेखा रब्बु मंगेसिया, तूँ आयौं केरे कंमि।।
अर्थः-शेख फरीद साहिब का कथन है कि ऐ मनुष्य! तूने दिन के चार पहर तो सांसारिक धन्धों तथा इन्द्रियों की भोग वासनाओं की पूर्ति करने में गँवा दिये तथा रात्रि के चार पहर ग़फ़लत की नींद में सोकर नष्ट कर दिये। घड़ी भर के लिये कभी भूलकर भी मालिक की याद और भजन-सुमिरण तूने नहीं किया। परन्तु जब मृत्यु के उपरान्त मालिक के दर्बार में जा उपस्थित होगा। वहाँ मालिक तुझसे तेरे कर्मों का व्योरा माँगेगा तथा पूछेगा कि तू जगत मे किसलिये आया था और क्या कुछ करके आया है? तब क्या उत्तर देगा? भजन भक्ति की कमाई से हीन होने पर वहाँ तो घोर तिरस्कार एवं लज्जा का सामना होगा।

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