जो जल बाढ़ै नाव में, घर में बाढ़ै दाम।
दोेनों हाथ उलीचिये, यही सयाना काम।।
अर्थः-ऐ विचारशील मानव! यदि नौका के अन्दर आवश्यकता से अधिक जल भर जाये और घर में बहुत अधिक संसार का ऐश्वर्य एकत्र हो जाय तो विचक्षण पुरुष को चाहिये कि दोनों वस्तुओं अर्थात् जल और धन सम्पदा को नाव और घर में से शक्ति के अनुसार बाहर उछाल दे। नहीं तो वह नैया और वह गृहस्थ जीवन विनाश के कारण बन जाएंगे।
Thanks. Super👍👍
ReplyDeleteThe last line of the poem is wrong ❌
ReplyDeleteDeprived soul . 😘
Delete