सीस झुकायां गिर पड़े, बहु पापन की पोट।
तातें सीस झुकाइये, लगे न जम की चोट।।
सीस तुम्हारा जायेगा, कर सतगुरु की भेंट।
नाम निरन्तर लीजिये, जम की लगे न फेंट।।
अर्थः-ऐ मित्र! सिर झुकाते ही पापों की गठड़ी के गिर जाने से तू महाकाल की चोट से बच जाएगा-अतः तू सदा अपना सिर सत्पुरुषों के चरणों में झुकाए रख-अपितु अपना सिर उनके समर्पित ही कर दे वरना इसे काल ही ले जायेगा। अगर तू लगातार नाम भक्ति में मग्न रहेगा तो यमराज तेरे निकट भी न फटकेगा।
तातें सीस झुकाइये, लगे न जम की चोट।।
सीस तुम्हारा जायेगा, कर सतगुरु की भेंट।
नाम निरन्तर लीजिये, जम की लगे न फेंट।।
अर्थः-ऐ मित्र! सिर झुकाते ही पापों की गठड़ी के गिर जाने से तू महाकाल की चोट से बच जाएगा-अतः तू सदा अपना सिर सत्पुरुषों के चरणों में झुकाए रख-अपितु अपना सिर उनके समर्पित ही कर दे वरना इसे काल ही ले जायेगा। अगर तू लगातार नाम भक्ति में मग्न रहेगा तो यमराज तेरे निकट भी न फटकेगा।
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