Monday, March 7, 2016

कोई तो तन मन दुखी

कोई तो तन मन दुःखी, कोई चित्त उदास।
एक एक दुःख सबन को, सुखी सन्त का दास।।

अर्थः-इस संसार में कोई तन से दुःखी है, तो कोई मन से दुःखी है तथा कोई अन्य अपने चित्त में सांसारिक चिन्ताओं को बसाकर दुःखी हो रहा है। तात्पर्य यह कि प्रत्येक व्यक्ति को एक न एक दुःख एक न एक रोग चिमटा हुआ है। परन्तु जो सन्तों महापुरुषों का सच्चा दास अथवा सेवक है, वही वास्तविक अर्थों में सुखी है। इसलिये कि वह महापुरुषों की आज्ञा एवं मौज अनुसार आचरण करता हुआ अपने जीवन को भक्ति के साँचे में ढालता है।

No comments:

Post a Comment