Friday, January 8, 2016

14.01.2016

सूली ऊपर घर करै, विष का करै आहार।
ता का काल कहा करै, जो आठ पहर हुसियार।।

अर्थः-श्री कबीर साहिब जी का कथन है कि जिसने सूली पर अपना घर बना रखा है और जो सदा विष का आहार करता है। तथा जो आठों पहर सचेत रहता है, भला काल उसका क्या बिगाड़ सकेगा? (विषयलोलुपता, स्वार्थपरता और अन्तर में बसे पाँच चोरों के साथ लड़ना, यही सूली पर घर बनाना है। और मन की विषय वृत्तियों के साथ संघर्ष करना ही विष के घूँट पीना है। यही जीते जी सूली पर घर करना है।)

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