Monday, January 25, 2016

अक्ख फरकनी न मिले

अक्ख फरकनी न मिले, मुँह विच रहै गिराह।
लख लानत है सुथरिया, जे दम दा करें वेसाह।।

श्री सुथरेशाह साहिब का कथन है कि जब मृत्यु का समय आयेगा, तब आँख झपकाने की भी मुहलत नहीं मिल सकेगी और मुख का ग्रास मुख में ही रह जायेगा। उस ग्रास को निगल सकने की भी फुर्सत नहीं होगी। जबकि मौत इस तरह अचानक ही टूटने वाली है; तब यदि तू एक साँस का भी भरोसा रखे, तो तुझ पर लाख लाख लानत है।

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