Thursday, January 21, 2016

कबीर संगत साध की, कटै कोटि अपराध



एक घड़ी आधी घड़ी, आधी सूं से आध।
कबीर संगति साध की, कटै कोटि अपराध।।

अर्थः-परिपूर्ण महापुरुषों की एक पल की शुभ संगति सौ वर्ष के भजन-सुमिरण से बढ़कर और लाभदायक है। फरमाते हैं कि सत्पुरुषों की संगति एक घड़ी अथवा आधी घड़ी अथवा उससे भी आधी घड़ी यदि सच्चे दिल से की जाये तो वह कभी निष्फल नहीं जाती,अपितु करोड़ों अपराधों को नष्ट कर देती है। भाव यह कि परिपूर्ण सन्त सत्पुरुषों की शरण-संगति संजीवनी का काम करती है और समय पर मनुष्य की सहायक होती है।

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