Wednesday, June 15, 2016

चरनदास यों कहत है,

चरनदास यों कहत है, सुनियो सन्त सुजान।
मुक्ति मूल अधीनता, नरक मूल अभिमान।।

अर्थः-नम्रता से ही मुक्ति मिलती है। अर्थात् मुरीद बनने के लिए नम्रता का गुण आवश्यक है। अभिमान तो पतन की ओर ले जाने वाला है। अतः जब तक अहंकार की भावना विद्यमान है तब तक मुरीद नहीं कहला सकता।

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