Monday, June 6, 2016

छाजन भोजन प्रीति सों, दीजै साधु बुलाय।

छाजन भोजन प्रीति सों, दीजै साधु बुलाय।
जीवत जस है जगत में, अन्त परम पद पाय।।
अर्थः-जो मनुष्य अत्यन्त प्रीति से विभोर होकर हर्षित ह्मदय से, बड़े चाव और निष्ठा से सन्त महात्माओं को अपने घर बुला कर रहने के लिये आवास और खाने के लिये परम श्रद्धा-भावनायुक्त परम प्रीति से सना हुआ सात्विक भोजन अर्पित करता है वह संसार में जीते जी यशस्वी कहलाता है। और मरणोपरान्त मोक्ष-पद को प्राप्त करता है।

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