घुँघची भर जे बोइयै, उपजै पंसेरी आठ।
डेरा परिया काल का, निशिदन रोकै बाट।।
अर्थः-खाहिश
का बीज ऐसा है कि यदि मुट्ठी भर बोया जाये, तो मन भर उगता है। ज़रा सी
खाहिश बढ़कर और फैलकर इतना दीर्घ सूत्रपात करती हैं कि फिर उनके फैलाये जाल
को तोड़ सकना असम्भव सा हो जाता है। और यह तो मानी हुई बात है ही कि जिस मन
में वासनाओं का तूफान होगा वहाँ काल का डेरा भी अवश्य जमा रहेगा और वह
रात-दिन तुम्हारी आध्यात्मिक उन्नति मार्ग में रुकावट डालता रहेगा।
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