तुलसी पूरब पाप से, हरि चर्चा न सुहाय।
कै ऊँघै कै लड़ि परै, कै उठकर घर को जाय।।
कै ऊँघै कै लड़ि परै, कै उठकर घर को जाय।।
सन्त तुलसी साहिब का कथन है कि पूर्वजन्म के पापों के कारण ही किसी किसी को मालिक के नाम की चर्चा तथा सतसंग आदि में रस की अनुभूति नहीं होती। वे या तो सत्संग में बैठे बैठे ऊँघने लगते हैं या किसी से लड़ाई झगड़ा कर बैठते हैं; अथवा फिर सत्संग में रुचि न लगने के कारण उठकर घर को चल देते हैं।
Goox
ReplyDeleteNice
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