Monday, February 15, 2016

कागा का कछु लेत है, कोयल का कछु देत।
मीठी वाणी बोल करि, सब का मन हरि लेत।।

अर्थः-कौव्वा भला किसी से क्या छीनता है, जोकि सब लोग उसके प्रति अरुचि दिखाते हैं। और कोयल भला किसी को कौनसा मूल्यवान पदार्थ देती है कि वह सबके मन को भाती है। इस अन्तर का कारण केवल इतना ही है कि कौव्वे की बोली परुष एवं अप्रिय होती है और सभी उसके प्रति अरुचि दर्शाते हैं, जबकि उसकी तुलना में कोयल मधुर वचन कहकर (मीठी बोली बोलकर) सबके मन को मोहित कर लेती है। एक सच्चे भक्त और जिज्ञासु पुरुष का ह्मदय भी सदैव सबके प्रति प्रेम-प्यार और स्नेह से पूर्ण होता है। मधुर भाषण से अन्यों के ह्मदयों को जीत लेता है।

No comments:

Post a Comment