जेहि घट प्रेम न सँचरै, सो घट जानि मसान।।
जैसे खाल लोहार की, साँस लेत बिनु प्रान।।
जैसे खाल लोहार की, साँस लेत बिनु प्रान।।
अर्थः-जिस मनुष्य के ह्मदय में प्रेम की लगन नहीं है, उसका ह्मदय श्मशान के सदृश सूना है और वह स्वयं जीते जी मृतक समान है। जिस प्रकार लोहार की धोंकनी निर्जीव खाल होने पर भी साँस लेती है। वैसे ही प्रेम से हीन मनुष्य भी देखने में निस्सन्देह साँस लेता, चलता फिरता और काम काज करता दिखायी देता है; किन्तु यथार्थतः वह मृतक ही है।
Jai gurandi
ReplyDeleteबहुत ही सही तरीके से आपने इसका अर्थ समझाया है। धन्यवाद!
ReplyDeleteNice nice nice 🌺🙏🏻🙏🏻🙏🏻🌺
ReplyDeleteI like this answer
ReplyDelete🙏🌼🌺🌹🌺🙏
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